“उत्तराखंड से दक्षिण भारत तक, जानिए कैसे भारत की पारंपरिक फर्श-कला हर घर में सौभाग्य और संस्कृति का प्रतीक बनती है।”
Indian Folk Art भारत अपनी सांस्कृतिक विविधताओं और लोक कलाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इनमें से फर्श-चित्रकला या पारंपरिक फ्लोर आर्ट एक अद्भुत उदाहरण है, जो न सिर्फ घर को सजाती है बल्कि सौभाग्य, शुभता और धार्मिक आस्था का प्रतीक भी है। हर राज्य की अपनी अलग शैली और नाम है, जैसे उत्तराखंड में ऐपण, बंगाल में अल्पोना, राजस्थान में मंडला, और दक्षिण भारत में कोलम। इन कलाओं में ज्यामितीय आकृतियाँ, फूल-पत्तियाँ, पशु-पक्षी और धार्मिक प्रतीकों का समावेश होता है।
1. ऐपण (उत्तराखंड में) Indian Folk Art
उत्तराखंड की कुमाऊँ और गढ़वाल संस्कृति में ऐपण कला का महत्वपूर्ण स्थान है। यह मुख्य रूप से घर की दहलीज़, चौखट, और त्योहारों के अवसर पर बनाई जाती है। ऐपण कला में ज्यामितीय आकृतियाँ, फूल-पत्तियाँ, और धार्मिक प्रतीक जैसे शंख, स्वस्तिक और गणेश आदि शामिल होते हैं। यह केवल सजावट नहीं बल्कि शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है।

2. अल्पोना (बंगाल और असम में) Indian Folk Art
अल्पोना बंगाल और असम की प्रमुख पारंपरिक कला है। यह खासकर त्योहारों, विवाह और धार्मिक अवसरों पर घर की दीवारों और फर्श पर बनाई जाती है। अल्पोना में प्राकृतिक रंगों और चूने का इस्तेमाल करके विभिन्न ज्यामितीय और प्राकृतिक आकृतियाँ बनाई जाती हैं। इसे बनाने में महिलाओं की कलात्मक दक्षता और धैर्य झलकता है।

3. अरिपना (बिहार और उत्तर प्रदेश में) Indian Folk Art
अरिपना बिहार और उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय फर्श-चित्रकला है, जिसे खासकर त्योहारों और विवाहों के समय घर की दहलीज़ पर सजावट के लिए बनाया जाता है। इसमें प्रायः चूने और लाल रंग का प्रयोग किया जाता है और आकृतियाँ ज्यामितीय, फूलों की और धार्मिक प्रतीकों पर आधारित होती हैं। अरिपना को शुभ अवसरों और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

4. मंडला (राजस्थान और मध्य प्रदेश में) Indian Folk Art
मंडला राजस्थान और मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध पारंपरिक कला है। इसे घर की दीवारों और फर्श पर विशेष अवसरों पर बनाया जाता है। मंडाना चित्रकला में ज्यामितीय आकृतियों, फूलों, पशु-पक्षियों और देवी-देवताओं के चित्रों का समावेश होता है। यह कला सामाजिक और धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ घर में सौभाग्य लाने के लिए भी बनायी जाती है।

5. रंगोली (गुजरात और महाराष्ट्र में) Indian Folk Art
रंगोली भारत के पश्चिमी राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में अत्यधिक लोकप्रिय है। इसे मुख्य रूप से त्योहारों जैसे दिवाली, गणेश चतुर्थी और विवाहों के अवसर पर फर्श पर रंग-बिरंगे रंगों से बनाया जाता है। रंगोली में ज्यामितीय, पुष्प और धार्मिक आकृतियों का संयोजन होता है, और इसे सौभाग्य और स्वागत का प्रतीक माना जाता है।

6. कोलम (दक्षिण भारत में) Indian Folk Art
कोलम दक्षिण भारत में प्रमुख फर्श-चित्रकला है, विशेषकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में। इसे मुख्य रूप से चावल के आटे से बनाया जाता है और यह सुबह के समय घर की दहलीज़ पर बनाया जाता है। कोलम न केवल सजावट बल्कि अनुष्ठानों और धार्मिक आस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

7. मुग्गु (आंध्र प्रदेश में) Indian Folk Art
मुग्गु आंध्र प्रदेश की पारंपरिक फर्श-चित्रकला है। इसे चावल के आटे या रंगीन पाउडर से बनाया जाता है। मुग्गु विशेष अवसरों, त्योहारों और घर में शुभता लाने के लिए बनायी जाती है। इसमें ज्यामितीय आकृतियाँ, फूल, पशु-पक्षी और धार्मिक प्रतीक प्रमुख होते हैं।

8. अल्पना (ओडिशा में: चिता, झोटी और मुरुजा)
ओडिशा में अल्पना को विभिन्न रूपों में जाना जाता है, जैसे चिता, झोटी और मुरुजा। यह कला मुख्य रूप से त्योहारों, पूजा और सामाजिक आयोजनों के अवसर पर घर की दीवारों और फर्श पर बनाई जाती है। इसमें ज्यामितीय, पुष्प और धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग होता है। यह कला घर में सौभाग्य और शुभता लाने का प्रतीक मानी जाती है।

मधुबनी कला
मधुबनी कला भारत की प्राचीन लोक कलाओं में से एक है, जिसकी उत्पत्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र में हुई। यह कला अपनी बारीक रेखाओं, प्राकृतिक रंगों और ज्यामितीय आकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। इसमें देवी-देवताओं, प्रकृति, लोककथाओं और दैनंदिन जीवन के दृश्य बड़े ही सुंदर और रंगीन तरीके से चित्रित किए जाते हैं। मधुबनी पेंटिंग न सिर्फ दीवारों और कागज़ पर, बल्कि कपड़े और अन्य सजावटी वस्तुओं पर भी बनाई जाती है। यह कला भारतीय सांस्कृतिक विरासत और लोकजीवन की गहरी झलक पेश करती है।
उत्तराखंड से दक्षिण भारत तक, भारत की पारंपरिक फर्श-चित्रकला हर घर में सौभाग्य, संस्कृति और रंगों की अनोखी कहानी बुनती है।

निष्कर्ष (Conclusion) भारत की पारंपरिक फर्श-चित्रकला Indian Folk Art सिर्फ सजावट का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक आस्था और सौभाग्य का प्रतीक भी है। उत्तराखंड का ऐपण, बंगाल की अल्पोना, राजस्थान का मंडाना, और दक्षिण भारत का कोलम—हर कला अपने राज्य की अनूठी परंपरा और इतिहास को दर्शाती
यह लेख पढ़ें – ऐपण आर्ट क्या है?